Sahitya DarshannStory,Poems.shayari,quotes,Gazals,कवितायें शायरी कहानियाँ

 

मैं लोगों से मुलाकातों के लम्हे याद रखता हूँ

Posted: 10-03-2018 | Writer - Munawwar Rana

मैं लोगों से मुलाकातों के लम्हे याद रखता हूँ, मैं बातें भूल भी जाऊं तो लहजे याद रखता हूँ, सर-ए-महफ़िल निगाहें मुझ पे जिन लोगों की पड़ती हैं निगाहों के हवाले से वो चेहरे याद रखता हूँ

[Read More]

जिसे दुश्मन समझता हूँ वही अपना निकलता है

Posted: 10-03-2018 | Writer - Munawwar Rana

जिसे दुश्मन समझता हूँ वही अपना निकलता है, हर एक पत्थर से मेरे सर का कुछ रिश्ता निकलता है, डरा -धमका के तुम हमसे वफ़ा करने को कहते हो कहीं तलवार से भी पाँव का काँटा निकलता है?

[Read More]

बुलंदी देर तक किस शख्श के हिस्से में रहती है

Posted: 10-03-2018 | Writer - Munawwar Rana

बुलंदी देर तक किस शख्श के हिस्से में रहती है बहुत ऊँची इमारत हर घडी खतरे में रहती है, ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता, मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ सज़दे में रहती है

[Read More]

मिट्टी में मिला दे की जुदा हो नहीं सकता

Posted: 10-03-2018 | Writer - Munawwar Rana

मिट्टी में मिला दे की जुदा हो नहीं सकता अब इससे जयादा मैं तेरा हो नहीं सकता दहलीज़ पे रख दी हैं किसी शख़्स ने आँखें रौशन कभी इतना तो दिया हो नहीं सकता

[Read More]

कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ़ नहीं देखा

Posted: 10-03-2018 | Writer - Munawwar Rana

कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ़ नहीं देखा, तुम्हारे बाद किसी की तरफ़ नहीं देखा, ये सोच कर कि तेरा इंतज़ार लाज़िमहै, तमाम उम्र घड़ी की तरफ़ नहीं देखा

[Read More]

Search

कवि

मुनव्वर राना 5

सर्वाधिक पसंदीदा गजल