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कवितायें 1
जब हम चाहते आँखे खोलते, जब चाहते तब बंद कर लेते, ये सब संभव है केवल, आँखों की पलकों के चलते ! आँखों की पलकों के जैसा, काश कान के दरवाजे भी होते ! जब चाहे तब खोल लेते , जब चाहे तब बंद कर लेते !!