तुम जानती हो प्रिय ,
मेरे लिए तुम कितनी खास हो।
तेरे बिना मेरा जीवन ,
बिलकुल अधूरा सा है।
अगर मै सरिता हूँ,
तो तुम उसकी निर्मल जल हो।
मिलकर हम दोनों सदैव,
जीवन की प्यास बुझाएंगे ।
अगर मै दीपक हूँ,
तो तुम उसके बाती हो ।
यूँ ही साथ मिलकर ,
जीवन की अंधियारा को मिटायेंगे।
अगर मै खुद को संगीत कहूँ,
तो तुम उसके ताल हो,
हम दोनों मिलकर
सदैव जीवन के गीत गाएंगे ।
मै उपमा और तुम मेरा उपमान हो।
अब तुम्ही बताओ हम दोनों,
एक दूजे के बगैर फिर
कैसे रह पाएंगे।
मुकेश कुमार चौधरी