ये दिल है ,कोई मिट्टी का खिलौना नहीं ,
की जी चाहा तो खेला फिर ठुकरा डाला
एक से अगर मन ऊब जाये तो अगले दिन
इक दूसरा खरीद कर ला डाला !!
उसकी आँखों में प्रेम का समंदर दीखता है,
सारे जहाँ का प्यार उसके अंदर दीखता है;
क्या कहे उसकी अंदाज -ए-मोहब्बत को,
इसे देखकर प्यार भी प्यार सीखता है।
सच्चा प्यार जो भी करते हैं; पूछो कितना कठिन भुलाना,
जुदाई शायद सह ना सकूँगा; ऐ रब पहले मुझे बुलाना.
कभी तो कोई इस दिल की बात समझेगा
आएगा समय जब कोई मेरे जज्बात समझेगा
पोछेगा कोई मेरे भी अश्क ,और सब हालात समझेगा
जो मेरे गम को गम और खुशी को अपनी कायनात समझेगा
तपती हुई ज़मीं है जलधार बाँटता हूँ
पतझर के रास्तों पर मैं बहार बाँटता हूँ
ये आग का दरिया है जीना भी बहुत मुश्क़िल
नफ़रत के दौर में भी मैं प्यार बाँटता हूँ
विष्णु सक्सेना
अब भी हसीन सपने आँखों में पल रहे हैं
पलकें हैं बंद फिर भी आँसू निकल रहे हैं
नींदें कहाँ से आएँ बिस्तर पे करवटें ही
वहाँ तुम बदल रहे हो यहाँ हम बदल रहे हैं
विष्णु सक्सेना
बरसात भी नहीं है बादल गरज रहे हैं
सुलझी हुई लटे हैं और हम उलझ रहे हैं
मदमस्त एक भँवरा क्या चाहता कली से
तुम भी समझ रहे हो हम भी समझ रहे हैं
विष्णु सक्सेना
ओ जवान धड़कनों तुम, मेरा सलाम लेना
सीखा नहीं है मैंने, हाथों में जाम लेना
फ़िसलन बहुत है यारो, राहों में मुहब्बत की
कहीं मैं फिसल न जाऊँ, तुम हाथ थाम लेना
विष्णु सक्सेना
चंदा की चकोरी से कोई बात ना होती,
जो तुमसे हमारी ये मुलाकात न होती |
इस शहर के लोलोगों में कोई बात है ‘अम्बर’,
वरना तो कभी इतनी हसीं रात ना होती ||
मैं तुझे जान लूं तू मुझे जान ले,
मैं भी पहचान लूं तू भी पहचान ले |
है बहुत ही सरल प्रेम का व्याकरण,
मैं तेरी मान लूं तू मेरी मान ले ||
शाम भी ख़ास है वक़्त भी ख़ास है,
मुझको अहसास है तुझको अहसास है |
इससे ज्यादा मुझे और क्या चाहिए,
मैं तेरे पास हूँ तू मेरे पास है ||
चाँद बिन चांदनी रात होती नहीं,
ना हो बादल तो बरसात होती नहीं |
शब्द मजबूर हैं व्यक्त क्या क्या करें,
प्रेम जब हो मुखर बात होती नहीं ||
आने वाली हर नयी प्रभा ,दे खुशियों की सौगात
हर दिन आपका होली हो ,हो दिवाली हर रात !!
सफलता आपकी कदम चूमे ,न मिले जीवन में कभी निराशा
सफलता की आप दोस्त ,गढ़ दो एक नई परिभाषा !!
तुम अमर राग-माला बनो तो सही,
एक पावन शिवाला बनो तो सही,
लोग पढ़ लेंगे तुम से सबक प्यार का,
प्रीत की पाठशाला बनो तो सही..!!
मत आना मेरे जनाज़े में, तेरे फूलों की दरकार नहीं,
प्यार किया था मैंने, तुझ जैसा कोई व्यापार नहीं।
19-08-2023
ओ बेवफा आज फिर मुझे रुला गई
.बैठा था तन्हा तभी उसकी याद आ गई
समझ नहीं आया क्या थी उस पगली की लाचारी...
या बेवफाई है उसकी पैदाइशी बिमारी...
19-08-2023इस अंधियारी रात में ,जुगनू के घर का कोई पता बता दे !
ये खुदा मत ले इतने इम्तिहाँ ,अब तो मेरी खता बता दे !!
22-02-2018हम वीरों के वंशज है ,मिट्टी में तुम्हे मिला देंगे !
कर मत दू:साहस रे पाक ,वर्ना 71 की याद दिला देंगे !!
22-02-2018चारो धाम कर ले कोई ,या करले हर तीज त्योहार
माँ ही अगर खुश नहीं तो सब कुछ है बेकार