आज ओ फिर देखके मुस्कुराया है !
लगता है कोई फिर काम निकल आया है !!
घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे
देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा
मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा
वो जो खुद में से कम निकलतें हैं
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं
आप में कौन-कौन रहता है
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं।
मत आना मेरे जनाज़े में, तेरे फूलों की दरकार नहीं,
प्यार किया था मैंने, तुझ जैसा कोई व्यापार नहीं।
19-08-2023
ओ बेवफा आज फिर मुझे रुला गई
.बैठा था तन्हा तभी उसकी याद आ गई
समझ नहीं आया क्या थी उस पगली की लाचारी...
या बेवफाई है उसकी पैदाइशी बिमारी...
19-08-2023इस अंधियारी रात में ,जुगनू के घर का कोई पता बता दे !
ये खुदा मत ले इतने इम्तिहाँ ,अब तो मेरी खता बता दे !!
22-02-2018हम वीरों के वंशज है ,मिट्टी में तुम्हे मिला देंगे !
कर मत दू:साहस रे पाक ,वर्ना 71 की याद दिला देंगे !!
22-02-2018चारो धाम कर ले कोई ,या करले हर तीज त्योहार
माँ ही अगर खुश नहीं तो सब कुछ है बेकार