मैं तुझे जान लूं तू मुझे जान ले,
मैं भी पहचान लूं तू भी पहचान ले |
है बहुत ही सरल प्रेम का व्याकरण,
मैं तेरी मान लूं तू मेरी मान ले ||
शाम भी ख़ास है वक़्त भी ख़ास है,
मुझको अहसास है तुझको अहसास है |
इससे ज्यादा मुझे और क्या चाहिए,
मैं तेरे पास हूँ तू मेरे पास है ||
चाँद बिन चांदनी रात होती नहीं,
ना हो बादल तो बरसात होती नहीं |
शब्द मजबूर हैं व्यक्त क्या क्या करें,
प्रेम जब हो मुखर बात होती नहीं ||
आने वाली हर नयी प्रभा ,दे खुशियों की सौगात
हर दिन आपका होली हो ,हो दिवाली हर रात !!
सफलता आपकी कदम चूमे ,न मिले जीवन में कभी निराशा
सफलता की आप दोस्त ,गढ़ दो एक नई परिभाषा !!
चंद चेहरे लगेंगे अपने से ,
खुद को पर बेक़रार मत करना ,
आख़िरश दिल्लगी लगी दिल पर?
हम न कहते थे प्यार मत करना…!!
हमने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है,
और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है,
मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पल,
भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है..!!
तुम अमर राग-माला बनो तो सही,
एक पावन शिवाला बनो तो सही,
लोग पढ़ लेंगे तुम से सबक प्यार का,
प्रीत की पाठशाला बनो तो सही..!!
बदलने को तो इन आखोँ के मंज़र कम नहीं बदले ,
तुम्हारी याद के मौसम,हमारे ग़म नहीं बदले ,
तुम अगले जन्म में हम से मिलोगी,तब तो मानोगी ,
ज़माने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले..!!
घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे
देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा
मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा
वो जो खुद में से कम निकलतें हैं
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं
आप में कौन-कौन रहता है
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं।
वो जिसका तीरे छुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहां खत भी जरा सी देर में अखबार होता है।
कोई मंजिल नहीं जंचती, सफर अच्छा नहीं लगता
अगर घर लौट भी आऊ तो घर अच्छा नहीं लगता
करूं कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है
मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता।
हमने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है
और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है
मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पल
भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है।
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है
कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों
सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है।
सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।
पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है
हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।
मत आना मेरे जनाज़े में, तेरे फूलों की दरकार नहीं,
प्यार किया था मैंने, तुझ जैसा कोई व्यापार नहीं।
19-08-2023
ओ बेवफा आज फिर मुझे रुला गई
.बैठा था तन्हा तभी उसकी याद आ गई
समझ नहीं आया क्या थी उस पगली की लाचारी...
या बेवफाई है उसकी पैदाइशी बिमारी...
19-08-2023इस अंधियारी रात में ,जुगनू के घर का कोई पता बता दे !
ये खुदा मत ले इतने इम्तिहाँ ,अब तो मेरी खता बता दे !!
22-02-2018हम वीरों के वंशज है ,मिट्टी में तुम्हे मिला देंगे !
कर मत दू:साहस रे पाक ,वर्ना 71 की याद दिला देंगे !!
22-02-2018चारो धाम कर ले कोई ,या करले हर तीज त्योहार
माँ ही अगर खुश नहीं तो सब कुछ है बेकार